Breaking News

उत्तराखंड में एक बार फिर से सीएम को लेकर संशय, तीरथ सिंह रावत को देना पड़ सकता है इस्तीफा !


देहरादून: उत्तराखंड में 10 मार्च 2021 को नेतृव परिवर्तन हुआ था जिसके बाद से चर्चा हो रही थी कि नए मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत अब प्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाएंगे. लेकिन अभी तीरथ सिंह रावत को सीएम बने तीन महीने ही हुआ है और अब फिर से पूरे उत्तराखंड में सीएम के बदलने के कयास शुरू हो गए हैं. वजह है उनका विधानसभा का सदस्य न होना और विधानसभा चुनाव होने में एक साल से कम समय का होना.


चुनाव आयोग का नियम है वजह

चुनाव आयोग के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के तहत ऐसे राज्य में जहां चुनाव होने में एक साल का वक़्त बचा हो और उपचुनाव के लिए रिक्त हुई सीट अगर एक साल से कम समय में रिक्त हुई है तो चुनाव नहीं होगा. लिहाजा उत्तराखंड में अभी मौजूदा वक्त में दो विधानसभा सीट रिक्त हैं. पहली गंगोत्री सीट जो कि अप्रैल में गोपाल सिंह रावत के निधन की वजह से रिक्त हुई और दूसरी सीट है हल्द्वानी जो कि इसी जून माह में कांग्रेस की कद्दावर नेता इंदिरा हिरदेश के निधन की वजह से खाली हुई हैं. मौजूदा नियम के मुताबिक दोनों सीट उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में एक साल से कम समय होने के बाद रिक्त हुई है लिहाजा इन पर चुनाव नहीं हो सकता है.


सीएम को देना पड़ेगा इस्तीफ़ा?

9 अक्टूबर 2018 को चुनाव आयोग ने अपने दिए हुए बयान में कहा था, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के मुताबिक़ एक साल से कम समय मे रिक्त हुई कोई भी सीट पर उपचुनाव नहीं हो सकता है. लिहाजा अगर इस नियम को माना जाए तो अब उत्तराखंड में कोई भी उपचुनाव नहीं होगा. ऐसे में बगैर विधानसभा सदस्य बने 6 माह से ज्यादा कोई सीएम नहीं रह सकता. तो संवैधानिक नियम के मुताबिक मौजूदा सीएम तीरथ सिंह रावत को इस्तीफा देना होगा क्योकि उन्होंने 10 मार्च 2021 को सीएम पद की शपथ ली थी और उन्हें 9 सितंबर 2021 तक उत्तराखंड में विधानसभा का सदस्य बनाना है. चुनाव आयोग के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 151ए के मुताबिक़ अब उत्तराखंड में उपचुनाव हो नहीं सकते क्योंकि मार्च 2022 में उत्तराखंड के मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होना है और राज्य में चुनाव होने हैं.


अभी भी सांसद हैं तीरथ सिंह रावत

2019 में बीजेपी से पौढ़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से चुनाव जीत कर सांसद बने तीरथ सिंह रावत ने अब तक अपने सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिया है. लिहाजा अगर वो उत्तराखंड में 6 माह के अंदर विधानसभा सदस्य बनने में कामयाब नहीं होते हैं तो सीएम पद से हटने के बाद वो बतौर सांसद कायम रहेंगे.


कोई टिप्पणी नहीं